
रिपोर्ट :- भानुशरण – पटना, बिहार।
विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार मनोरंजन जगत से जुड़े चेहरों का जादू फीका पड़ गया। भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार खेसारी लाल यादव और जन सुराज पार्टी के प्रत्याशी गायक रितेश पांडे दोनों ही अपनी-अपनी सीटों पर हार के कगार पर पहुंच गए। स्टारडम, भारी प्रचार और सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स के बावजूद जनता ने उन्हें समर्थन नहीं दिया।
वहीं, दूसरी ओर भाजपा से मैदान में उतरी लोकगायिका मैथिली ठाकुर ने अपनी मधुर आवाज़ के साथ अब राजनीतिक सुर भी साध लिए हैं। उन्होंने अलीनगर विधानसभा सीट से 11,730 वोटों के अंतर से आरजेडी उम्मीदवार बिनोद मिश्रा को हराकर ऐतिहासिक जीत हासिल की। इस जीत के साथ वे बिहार विधानसभा की सबसे कम उम्र की विधायक बन गई हैं।
मैथिली ठाकुर ने जीत के बाद कहा कि यह जनता के विश्वास और उनके आशीर्वाद की जीत है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि वे क्षेत्रीय विकास, शिक्षा और महिलाओं के सशक्तिकरण पर प्राथमिकता से काम करेंगी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जहां भोजपुरी फिल्मी चेहरों का आकर्षण मतदाताओं पर असर नहीं डाल सका, वहीं मैथिली ठाकुर ने अपनी सादगी, लोक संस्कृति से जुड़ाव और साफ-सुथरी छवि के दम पर लोगों का दिल जीत लिया।अब देखना दिलचस्प होगा कि यह युवा विधायक किस तरह राजनीति में अपनी नई भूमिका निभाती हैं और क्या वे आने वाले वर्षों में बिहार की राजनीति का नया चेहरा बनकर उभरेंगी।
बिहार की राजनीती में क्यों नहीं चला भोजपुरी स्टार्स का करिश्मा ?
# मतदाता अब स्टारडम से अधिक स्थानीय जुड़ाव और क्षेत्रीय मुद्दों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
# फिल्मी लोकप्रियता को लोग मनोरंजन तक सीमित मानने लगे हैं, राजनीतिक भरोसे का आधार नहीं।
# कई जगहों पर आरोप लगा कि स्टार उम्मीदवारों की चुनावी मुहिम लहर से ज़्यादा प्रचार शोभा में बदल गई।
# मतदाताओं को ठोस विकास एजेंडा और जनसंपर्क वाली उम्मीदवार मैथिली ठाकुर अधिक भरोसेमंद लगीं।
युवाओं और महिलाओं ने सोशल मीडिया से आगे बढ़कर जमीनी काम देखने पर मत दिया।
