

छपरौला, ग्रेटर नोएडा। देव सिटी में चल रही श्री मद्भागवत के चतुर्थ दिवस पर श्री वृन्दावन धाम से पधारे अंकित शास्त्री जी महाराज ने राजा बलि की कथा का सुंदर वर्णन किया, कथा के दौरान उन्होंने बताया कि राजा बलि से बड़ा कोई दानी इस जगत में नहीं हुआ जिनका परीक्षण करने स्वयं भगवान विष्णु को इस धरा पर आना पड़ा।
महाराज जी के कहा कि राजा बलि से दान लेने के लिए स्वयं श्री विष्णु भगवान ने बामन का रूप धारण किया और उसके समक्ष आकर साढ़े तीन कदम बराबर भूमि का दान करने का आग्रह किया इस पर राजा बाली ने आश्चर्य जताते हुए बामन देव से प्रार्थना की कि मात्र साढ़े तीन पग धरती से क्या होगा ? आप अन्य उपहार मांग लीजिए। पर विष्णु रूपी बामन अवतार ने सिर्फ साढ़े तीन पग ही धरती दान में लेने का आग्रह किया इस पर राजा बलि ने अपनी सहमति देते हुए वचन दे दिया।
उसके पश्चात बामन देव ने अपने शरीर को विराट रूप में परिवर्तित कर तीनों पग में संपूर्ण ब्रह्माण्ड, पाताल, और पृथ्वी को दान में ले लिया उसके बाद बामन देव ने राजा बलि को कहा, राजन मैने सब कुछ आपका ले लिया परन्तु अभी भी आधा पग शेष है और वचन के अनुसार अब मैं अपना आधा पग कहां रखूं इस पर राजा बलि उनके चरणों में नतमस्तक होकर अपने शीश पर पग रखने का आग्रह किया और उनसे वास्तविक रूप में दर्शन देने का आग्रह किया। इस पर बामन देव ने आधा पग बलि के शीश पर रख दिया और अपने विशाल विष्णु रूप का दर्शन दिया।

